कबूतर का घोंसला – Kabootar ka ghonsala story in hindi
एक पेड़ पर एक कबूतर और कबूतरी रहते थे। कुछ समय बाद कबूतरी ने उसी पेड़ की टहनी पर तीन अंडे दिए। एक दिन कबूतर और कबूतरी दोपहर के समय खाना ढूंढते हुए कुछ दूर निकल गये। तभी कहीं से एक लोमड़ी आ गयी। वह भी भोजन की तलाश में पेड़ पर चढ़ी। वहां उसे कबूतरी के अंडे मिल गये और वो अंडों को खा गयी।
जब कबूतर का जोड़ा वापस आया तो अंडे ना पाकर बहुत परेशान हो गया। दोनों का मन टूट सा गया। तभी कबूतर ने निश्चय किया कि अब वह घोंसला बनाएगा ताकि फिर कभी उसके अंडे कोई न खा सके।
कबूतर ने अपने निर्णय अनुसार तिनके इकट्ठे कर के घोंसला बनाना शुरू किया। पर उसे एहसास हुआ कि उसे तो घोंसला बनाना आता ही नहीं है। तब उसने मदद के लिए जंगल के दूसरे पक्षियों को बुलाया।
सभी पक्षी उसकी मदद के लिए आ गये और उन्होंने कबूतर के लिए घोंसला बनाना शुरू किया। पक्षियों ने अभी कबूतर को सिखाना शुरू ही किया था कि कबूतर ने बोला कि अब वो घोंसला बना लेगा। उसने सब सीख लिया है।
सभी पक्षी यह सुन कर वापस चले गए। अब कबूतर ने घोंसला बनाना शुरू किया। उसने एक तिनका इधर रखा एक तिनका उधर। उसे समझ आया कि वह अभी भी कुछ नहीं सीखा है। उसने फिर से पक्षियों को बुलाया। पक्षियों ने आकर फिर घोंसला बनाना शुरू किया। अभी आधा घोंसला बना ही था कि कबूतर जोर से चिल्लाया, तुम सब छोड़ दो अब मैं समझ गया हूं यह कैसे बनेगा।
इस बार पक्षियों को बहुत गुस्सा आया। सारे पक्षी तिनके वहीं छोड़ कर चले गये। कबूतर ने फिर कोशिश की पर उससे इस बार भी घोंसला नहीं बन पाया।
कबूतर ने तीसरी बार पक्षियों को बुलाया, लेकिन इस बार एक भी पक्षी मदद के लिए नहीं आया और आज तक कबूतर को घोंसला बनाना नहीं आया।
शिक्षा – इस कहानी के माध्यम से हमें यह सीख मिलती है कि यदि हमें कोई काम नहीं आता हो, तो उसे किसी की मदद से पूरी तरह सीख लेना चाहिए। जो काम नहीं आता हो उसे जबरदस्ती करने का दिखावा नहीं करना चाहिए, क्योंकि मदद करने वाला व्यक्ति एक या दो बार तो आपकी मदद कर सकता है लेकिन हर बार नहीं। इसलिए, किसी काम को पूरी निष्ठा के साथ विनम्रता पूर्वक सीखना चाहिए।