Dharm ki chinta story

 

धर्म की चिंता – Dharm ki chinta story in hindi


एक बार एक संत नदी में स्नान करने के लिए गए। नदी में स्नान कर ही रहे थे कि उन्होंने पानी में एक बिच्छू को डूबता हुआ देखा। उन्होंने उस बिच्छु को बचाने के लिए तुरंत ही उसे पकड़ लिया और नदी के बाहर लाने लगे। तभी बिच्छू ने संत के हाथ में डंक मारा। संत का हाथ खून से भर गया और उनका हाथ खुलते ही बिच्छू फिर से पानी में गिर गया। संत ने फिर से डूबते बिच्छू को पकड़ा और पानी से बाहर निकालने लगे। लेकिन बिच्छू ने फिर से उनके हाथ में काट लिया। यह बार-बार होता रहा।

यह पूरी घटना दूर बैठा एक व्यक्ति देख रहा था। वो उस संत के पास आया और बोला – अरे साधू जी! वह बिच्छू आपको बार- बार काट रहा है। आप उसे बचाना चाहते हो और वो आपको ही डंक मार रहा है। आप उसे छोड़ क्यूँ नहीं देते? मर रहा है वह अपनी मौत। लेकिन आप क्यूँ अपना खून बहा रहे हो?

तब उस संत ने उत्तर दिया – भाई! डंक मारना तो बिच्छू की प्रकृति है, इसका स्वाभाविक धर्म है। यह वही कर रहा है। लेकिन मैं एक मनुष्य हूँ, और मेरा धर्म है दूसरों की सेवा करना और मुसीबत में उनका साथ देना। अतः बिच्छू अपना धर्म निभा रहा है और मैं मेरा।


प्रेरणा – सभी को अपने धर्म और कर्तव्य का निर्वाह अवश्य ही करना चाहिये। दूसरा चाहे जो कर रहा हो, आपके धर्म में उसकी करनी से कोई असर नहीं होना चाहिये। अगर हर व्यक्ति केवल अपने स्वाभाविक मानव धर्म और कर्म की चिंता करे, तो सारी परेशानी ही ख़त्म हो जाए। लेकिन आज मानव समाज की यह प्रकृति रही ही नहीं हैं। सभी खुद को महान बताते हैं और दूसरों में कमी निकालते रहते हैं। अगर अच्छे बुरे के तराजू में मानव निष्पक्ष होकर पहले खुद को तौले, तो क्रोध, ईर्ष्या, क्रूरता अहंकार आदि दोष उसी वक्त खत्म हो जाएं।

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