धोबी का गधा – Dhobi ka gadha story in hindi
किसी गाँव में एक धोबी रहता था। धोबी रोज लोगों के घर-घर जाकर उनके गंदे कपड़े धोने के लिए लेकर आता था। धोबी के पास एक गधा था जिस पर वो कपड़े लादकर लाया और ले जाया करता था। गधा अब काफी बूढ़ा हो चुका था इसलिए वह काफी कमजोर भी हो गया था।
एक दिन कड़ी दोपहर में धोबी सारे कपड़े गधे के ऊपर रखकर ले जा रहा था। गर्मी की वजह से गधे और धोबी दोनों का बुरा हाल था। अचानक गधे का पैर लड़खड़ाया और बेचारा गधा एक बड़े गढ्ढे में जा गिरा। गधा बेचारा कमजोर तो था ही, फिर भी उसने पूरी ताकत लगायी लेकिन गड्ढे से बाहर नहीं निकल पाया। धोबी ने भी अपनी तरफ से पूरा प्रयास किया लेकिन गढ्ढा गहरा होने की वजह से गधा बाहर नहीं निकल पा रहा था।
अब तो गधा डर से बुरी तरह चिल्लाने लगा। धोबी भी जब प्रयास करते करते थक गया तो उसने सोचा ये गधा तो बूढ़ा हो चुका है और अब किसी काम का भी नहीं है इसलिए इसको निकालने से कोई फायदा नहीं है, क्यों ना गड्ढे को मिट्टी से भरकर इस गधे को यहीं दफना दिया जाये। यही सोचकर धोबी ने गाँव के लोगों को आवाज लगायी। सारे लोग अपना फावड़ा लेकर आ गए। सब मिलकर जल्दी जल्दी गड्ढे में मिट्टी डालने लगे।
पहले तो गधे को कुछ समझ में नहीं आया कि ये क्या हो रहा है? लेकिन जब उसे अहसास हुआ कि ये लोग उसे दफ़नाने का प्रयास कर रहे हैं तो उसकी आखों में आँसू आ गए। कुछ देर तक गधा चिल्लाता रहा, बाद में उसने चिल्लाना भी बंद कर दिया। सब लोग और तेजी से गड्ढे में मिट्टी डालने लगे।
थोड़ी देर बाद धोबी ने जब गड्ढे में झाँककर देखा तो वो हैरान रह गया। गधा वहाँ कुछ विचित्र सी हरकत कर रहा था।
जैसे ही कोई गधे की पीठ पर मिट्टी डालता, गधा तुरंत अपनी पीठ हिलाकर मिट्टी नीचे गड्ढे में गिरा देता और खुद एक कदम ऊपर हो जाता। धीरे धीरे गढ्ढा मिट्टी से भर गया और गधा उछलता हुआ गड्ढे से बाहर निकल आया और सारे लोग गधे को हैरानी से देखते रह गए।
शिक्षा – यह कहानी हमें बहुत बड़ी सीख देती है कि समस्या कितनी भी बड़ी क्यों न हो, अपनी सूझबूझ से किसी भी समस्या से निजात पाया जा सकता है। जैसे इस कहानी में एक बूढ़ा और कमजोर पशु भी अपनी सूझबूझ से अपनी मौत जैसी समस्या को मात दे सकता है तो मनुष्य जैसा विवेकशील किसी समस्या से क्यों नहीं निकल सकता।