Imandari ka phal story

 

ईमानदारी का फल – Imandari ka phal story in hindi


एक राजा को कोई संतान नहीं थी। राजा ने फैसला किया कि वह अपने राज्य के किसी बच्चे को ही अपना उत्तराधिकारी चुनेगा। इसी इरादे से एक दिन सभी बच्चों को बुलाया गया। राजा ने घोषणा की कि वह वहां मौजूद बच्चों में से ही किसी को अपना उत्तराधिकारी चुनेगा।

उसके बाद उसने सभी बच्चों के बीच एक छोटी सी थैली बंटवा दी, और बोला- “प्यारे बच्चों, आप सभी को जो थैली दी गयी है उसमे अलग-अलग पौधों के बीज हैं। हर बच्चे को सिर्फ एक ही बीज दिया गया है। आपको इसे अपने घर ले जाकर एक गमले में लगाना है और ६ महीने बाद हम फिर यहाँ इकठ्ठा होंगे और उस समय मैं फैसला करूँगा कि मेरे बाद मेरे इस राज्य का अगला राजा कौन होगा?

उन्ही लड़कों में ध्रुव नाम का भी एक लड़का था। बाकी बच्चों की तरह वह भी बीज लेकर ख़ुशी-ख़ुशी अपने घर वापस पहुँच गया और माँ की मदद से उसने एक गमला चुना और उसमें अच्छे से उसकी देखभाल करने लगा।

दिन बीतने लगे, पर हफ्ते-दो हफ्ते बाद भी ध्रुव के गमले में पौधे का कोई नामोनिशान नहीं था। वहीं अब आस-पास के कुछ बच्चों के गमलों में उपज दिखने लगी थी।

ध्रुव ने सोचा कि हो सकता है उसका बीज कुछ अलग हो, और कुछ दिनों बाद उसमें से उपज निकले। ऐसा सोच कर वह पूरी लगन से गमले की देखभाल करता रहा, पर तीन महीने बीत जाने पर भी उसका गमला खाली था।

वहीं दूसरी ओर बाकी बच्चों के गमलों में अच्छे-खासे पौधे उग गए थे तो कुछ के फल-फूल भी दिखाई देने लगे थे।

ध्रुव का खाली गमला देख सभी उसका मजाक बनाते और उस पर हँसते। यहाँ तक की कुछ बड़े बुजुर्ग भी उसे बेकार में मेहनत करने से मना करने लगे थे। पर बावजूद इसके ध्रुव ने हार नहीं मानी, और लगातार गमले की देखभाल करता रहा। 

देखते-देखते ६ महीने भी बीत गए और राजा के सामने अपना गमला ले जाने का दिन आ गया।

ध्रुव चिंतित था क्योंकि अभी भी उसके गमले में कुछ नहीं निकला था। वह मन ही मन सोचने लगा कि अगर मैं ऐसे ही राजा के सामने चला गया तो सब लोग मुझ पर कितना हँसेंगे और कहीं राजा भी मुझसे नाराज हो गया और सजा दे दी तो…किसी को यकीन नहीं होगा कि मैं बीज में रोज पानी डालता था। सब मुझे आलसी ही समझेंगे!

माँ ध्रुव की परेशानी समझ रही थी, उसने ध्रुव की आँखों में आँखें डाल कर कहा- बेटा! “नतीजा जो कुछ भी हो, तुम्हें राजा को उसका दिया हुआ बीज लौटाना ही चाहिए!” 

तय दिन सभी बच्चे राजमहल के मैदान में इकठ्ठा हो गए. वहां एक से बढ़कर एक पौधों का अम्बार लगा था। रंग-बिरंगे फूलों की खुशबू से पूरा महल सुगन्धित हो गया था।

ध्रुव का खाली गमला देख बाकी बच्चे उसका मजाक उड़ा रहे थे कि तभी राजा के आने की घोषणा हुई। सभी बच्चे शांति से अपनी जगह खड़े हो गए। सब के अन्दर बस एक ही प्रश्न चल रहा था…कि कौन बनेगा राजा?

राजा बच्चों के बीच से हो कर आगे बढ़ने लगे…वह जहाँ से भी गुजरते बच्चे तन कर खड़े हो जाते और अपने आप को योग्य उत्तराधिकारी साबित करने की कोशिश करते।

तमाम खूबसूरत पौधों को देखने के बाद राजा की नज़र ध्रुव पर पड़ी। राजा ने उससे पूछा “क्या हुआ? तुम्हारा गमला खाली क्यों है?”

“जी मैं रोज इसमें पानी डालता था…धूप दिखाता था… ६ महीने तक मैंने इसकी पूरी देख-भाल की पर फिर भी इसमें से पौधा नहीं निकला..”, ध्रुव कुछ हिचकिचाहट के साथ बोला।

राजा बाकी गमलों को देखने के लिए आगे बढ़ गए। सभी गमले देखने के बाद उसने बच्चों को संबोधित किया- “आप लोगों ने खुद को योग्य साबित करने के लिए कड़ी मेहनत की… ज्यादातर लोग किसी भी कीमत पर राजा बनना चाहते हैं, लेकिन एक लड़का ऐसा भी है जो यहाँ खाली हाथ ही चला आया…. ध्रुव, तुम यहाँ मेरे पास आओ…”

सबके सामने इस तरह बुलाया जाना ध्रुव को कुछ अजीब लगा और वह धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा। 

जैसे ही राजा ने उसका गमला उठाकर बाकी बच्चों को दिखाया…सभी हंसने लगे।

“शांत हो जाइए!”, राजा ने ऊँची आवाज़ में कहा, “६ महीने पहले मैंने आपको बीज दिए थे और अपने-अपने पौधों के साथ आने को कहा था। मैंने आपको जो बीज दिए थे वो बंजर थे! 

आप चाहे उसकी जितनी भी देख-भाल करते उसमें से कुछ नहीं निकलता… लेकिन अफ़सोस है कि आप लोगों के गमलों में पौधे हैं। वहीं आपके बीच में बस एक ध्रुव ही है जो खाली हाथ यहाँ उपस्थित हुआ है।

आप सबको उससे सीखना चाहिए…पहले तो उसने ईमानदारी दिखाई कि और लोगों की तरह बीज में से कोई उपज ना निकलने पर भी दूसरा बीज नहीं लगाया…और उसके बाद खाली गमले के साथ यहाँ आने का साहस दिखाया…ये जानते हुए भी कि लोग उस पर कितना हँसेंगे…उसे कितना अपमानित होना पड़ेगा!

आज मैं घोषणा करता हूँ कि ध्रुव ही मेरे राज्य का अगला राजा होगा। यही उसकी इमानदारी का फल है!


शिक्षा – योग्यता केवल ईमानदारी में है। ईमानदार व्यक्ति सभी कठिनाइयों को सहजता से पार करके सफलता को प्राप्त करने में सफल होता है।

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