Nevala ya mendhak story

 

नेवला या मेंढक – Nevala ya mendhak story in hindi



कुछ दिनों से एक व्यक्ति परेशान था। उसे एक के बाद एक किसी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा था। कभी ऑफिस में बॉस के साथ बहस हो जाती तो कभी घर पर पत्नी से तो कभी उसे किसी अन्य की बात ठेस पहुंचा देती थी।

उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे इसलिए वो एक आश्रम में अपने गुरु जी के पास पहुंचा और अपनी समस्या बता दी।

गुरु जी ने उसकी बात सुनी और कहने लगे-

“क्या तुम जानते हो नेवले सांप को मारकर खा जाते हैं?” “कितना अद्भुत है न!, ये छोटे से नेवले इतने ज़हरीले कोबरा सांप तक को मारकर खा जाते हैं। ऐसा लगता है कि इन नेवलों को साँपों ने इतनी बार काटा है कि उनके अन्दर एक प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गयी है और अब उनके ऊपर इस ज़हर का कोई असर नहीं होता!”

“क्या?”, समीर को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि गुरूजी क्या बात कर रहे हैं। 

“और क्या तुम जानते हो, जंगली इलाकों में एक प्रजाति के छोटे-छोटे मेंढक होते हैं जो बेहद जहरीले होते हैं। वे पैदाइशी ऐसे नहीं होते, वे रोज थोड़ा-थोड़ा कर के ऐसा खाना खाते हैं कि उनके पूरे शरीर में ज़हर भर जाता है और लोग उनसे दूर ही रहते हैं।

ये सुनकर समीर से रहा नहीं गया, और वह झल्लाहट में बोला, ” मुझे समझ नहीं आता कि मैंने आपसे अपनी लाइफ की प्रॉब्लम शेयर की और आप मुझे जंतु विज्ञान का पाठ पढ़ा रहे हैं!”

गुरु जी मुस्कुराए। 

बेटा, जब तुम ज़हर रुपी दर्द या परेशानी को अनुभव करो तो तुम्हारे पास दो विकल्प होते हैं। तुम नेवले की तरह उस अनुभव को ज़हर के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में प्रयोग कर सकते हो यानि कि तुम विपरीत परिस्थितियों का सामना करके खुद को और मजबूत बना सकते हो, या तुम उन मेंढकों की तरह बन सकते हो जो ज़हर को अपने शरीर का हिस्सा बनाते जाते हैं और इसी वजह से से हर कोई उनसे दूरी बना कर रखना चाहता है।

ऐसा कोई इंसान नहीं जिसके साथ कभी कुछ बुरा नहीं होता, ऐसा होने पर कोई कैसे प्रतिक्रिया करता है ये उसके ऊपर निर्भर करता है!

अब तुम बताओ कि तुम कैसे बनना चाहोगे…नेवले की तरह या मेंढक के जैसे?


शिक्षा – दोस्तों, जिंदगी में बुरे अनुभव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जो किया जा सकता है वो यह है कि हम इन अनुभवों को कैसे स्वीकार करें…हम खुद पर इनका क्या असर होने दें? किसी खट्टे अनुभव की वजह से खुद में खटास ला देना आसान ज़रूर है पर ऐसा करना हमें उन मेंढकों की तरह ज़हरीला बना देता है और धीरे-धीरे हमारे मित्र, रिश्तेदार हमसे कटने लगते हैं…लेकिन अगर हम उस बुरे अनुभव को सकारात्मक लेते हैं और खुद को मजबूत बनाते हैं तो हम उन नेवलों की तरह सशक्त हो जाते हैं और फिर बड़ी से बड़ी बाधाओं को पार करना सीख जाते हैं। इसलिए चलिए प्रयास करें कि जीवन में आने वाली समस्या की वजह से हम उनसे पार पाना सीखें ना कि खुद ही दूसरों के लिए समस्या बन जाएं!

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